श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 43
 
 
श्लोक  8.24.43 
 
 
तमूचुर्मुनय: प्रीता राजन् ध्यायस्व केशवम् ।
स वै न: सङ्कटादस्मादविता शं विधास्यति ॥ ४३ ॥
 
अनुवाद
 
  प्रसन्न होकर, सन्त ब्राह्मणों ने राजा से कहा: हे राजा! भगवान् केशव का ध्यान लगाओ। वे हमें इस आसन्न ख़तरे से बचाएँगे और हमारे कल्याण की व्यवस्था करेंगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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