श्रीसूत उवाच
इत्युक्तो विष्णुरातेन भगवान् बादरायणि: ।
उवाच चरितं विष्णोर्मत्स्यरूपेण यत् कृतम् ॥ ४ ॥
अनुवाद
सूत गोस्वामी ने कहा: जब परीक्षित महाराज ने शुकदेव गोस्वामी से इस प्रकार पूछा, तो उस महान् और शक्तिशाली साधु पुरुष ने भगवान् के मछली के रूप में अवतार लेने की लीलाओं का वर्णन करना शुरू कर दिया।