श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 4
 
 
श्लोक  8.24.4 
 
 
श्रीसूत उवाच
इत्युक्तो विष्णुरातेन भगवान् बादरायणि: ।
उवाच चरितं विष्णोर्मत्स्यरूपेण यत् कृतम् ॥ ४ ॥
 
अनुवाद
 
  सूत गोस्वामी ने कहा: जब परीक्षित महाराज ने शुकदेव गोस्वामी से इस प्रकार पूछा, तो उस महान् और शक्तिशाली साधु पुरुष ने भगवान् के मछली के रूप में अवतार लेने की लीलाओं का वर्णन करना शुरू कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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