हे राजन्! उसके पश्चात् तुम सब प्रकार की औषधियाँ एवं बीजों का संग्रह करके उस विशाल नाव में चढ़ाओगे। फिर तुम उस नाव में सप्त ऋषियों और समस्त प्रकार के जीवों से घिरे रहकर चढ़ोगे और बिना किसी खिन्नता के तुम अपने संगियों सहित बाढ़ के समुद्र में सहजतापूर्वक विचरण करोगे। उस समय ऋषियों का तेज ही एकमात्र प्रकाश होगा।