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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार
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श्लोक 33
श्लोक
8.24.33
त्रिलोक्यां लीयमानायां संवर्ताम्भसि वै तदा ।
उपस्थास्यति नौ: काचिद् विशाला त्वां मयेरिता ॥ ३३ ॥
अनुवाद
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जब तीनों लोकों में जलमग्न हो जाए, तो तुम्हारे सामने मेरे द्वारा भेजी गई एक विशाल नाव प्रकट होगी।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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