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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार
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श्लोक 29
श्लोक
8.24.29
सर्वे लीलावतारास्ते भूतानां भूतिहेतव: ।
ज्ञातुमिच्छाम्यदो रूपं यदर्थं भवता धृतम् ॥ २९ ॥
अनुवाद
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आपकी सभी लीलाएँ तथा अवतार निश्चय ही समस्त जीवों के हित के लिए होते हैं। इसलिए हे प्रभु! मैं वह प्रयोजन जानना चाहता हूँ जिसके लिए आपने यह मीन रूप धारण किया है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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