श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 21
 
 
श्लोक  8.24.21 
 
 
तत आदाय सा राज्ञा क्षिप्ता राजन् सरोवरे ।
तदावृत्यात्मना सोऽयं महामीनोऽन्ववर्धत ॥ २१ ॥
 
अनुवाद
 
  हे महाराज़ परीक्षित! राजा ने उस मछली को कुएँ से निकालकर एक तालाब में फेंक दिया, पर बाद में वह मछली पानी के विस्तार से भी अधिक विशालकाय रूप धारण कर गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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