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अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार
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श्लोक 16
श्लोक
8.24.16
तस्या दीनतरं वाक्यमाश्रुत्य स महीपति: ।
कलशाप्सु निधायैनां दयालुर्निन्य आश्रमम् ॥ १६ ॥
अनुवाद
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राजा की दयालुता के कारण, मछली के दयनीय शब्दों से प्रभावित होकर, उसने मछली को एक पानी के बर्तन में रखा और उसे अपने घर ले आया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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