श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  8.24.15 
 
 
तमात्मनोऽनुग्रहार्थं प्रीत्या मत्स्यवपुर्धरम् ।
अजानन् रक्षणार्थाय शफर्या: स मनो दधे ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  राजा सत्यव्रत को यह जानकारी नहीं थी कि मछली वस्तुतः परम देव हैं, फिर भी उन्होंने प्रसन्नतापूर्वक मछली को सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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