श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 24: भगवान् का मत्स्यावतार  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  8.24.10 
 
 
तत्र राजऋषि: कश्चिन्नाम्ना सत्यव्रतो महान् ।
नारायणपरोऽतपत् तप: स सलिलाशन: ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  चाक्षुष मन्वन्तर में सत्यव्रत नाम का एक महान् राजा हुआ, जो परमेश्वर के परम भक्त थे। उन्होंने केवल जल पर निर्वाह करके तपस्या की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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