श्रीभगवानुवाच
वत्स प्रह्लाद भद्रं ते प्रयाहि सुतलालयम् ।
मोदमान: स्वपौत्रेण ज्ञातीनां सुखमावह ॥ ९ ॥
अनुवाद
भगवान ने कहा: हे मेरे प्रिय पुत्र प्रह्लाद! तुम्हारा भला हो। फिलहाल, तुम सुतल नामक स्थान पर जाओ और वहाँ अपने पौत्र और अन्य रिश्तेदारों और दोस्तों के साथ ख़ुशियाँ मनाओ।