हे सर्वशक्तिमान! ब्रह्माजी जैसे महान लोग आपके चरण-कमलों की सेवा के मधुर स्वाद को चखकर ही परिपूर्णता प्राप्त कर लेते हैं। लेकिन हम, जो सभी धूर्त और ईर्ष्यालु राक्षसों के वंश में जन्मे हैं, आपकी दया कैसे प्राप्त कर सकते हैं? यह केवल इसलिए संभव हुआ है क्योंकि आपकी दया निस्वार्थ है।