श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 23: देवताओं को स्वर्गलोक की पुनर्प्राप्ति  »  श्लोक 13
 
 
श्लोक  8.23.13 
 
 
अथाहोशनसं राजन्हरिर्नारायणोऽन्तिके ।
आसीनमृत्विजां मध्ये सदसि ब्रह्मवादिनाम् ॥ १३ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात् सर्वोच्च व्यक्तित्व के भगवान् हरि, नारायण जी ने शुक्राचार्य को सम्बोधित किया जो पुरोहित (ब्रह्म, होता, उद्गाता और अध्वर्यु) के बीच सभा में बैठे थे। हे महाराज परीक्षित! ये सारे पुरोहित ब्रह्मवादी, अर्थात् वैदिक सिद्धांतों का पालन करते हुए यज्ञ सम्पन्न करने वाले थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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