श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 23: देवताओं को स्वर्गलोक की पुनर्प्राप्ति  »  श्लोक 11-12
 
 
श्लोक  8.23.11-12 
 
 
श्रीशुक उवाच
आज्ञां भगवतो राजन्प्रह्लादो बलिना सह ।
बाढमित्यमलप्रज्ञो मूर्ध्‍न्याधाय कृताञ्जलि: ॥ ११ ॥
परिक्रम्यादिपुरुषं सर्वासुरचमूपति: ।
प्रणतस्तदनुज्ञात: प्रविवेश महाबिलम् ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  श्रील शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजा परीक्षित! समस्त असुर-पतियों के स्वामी प्रह्लाद महाराज ने बलि महाराज समेत हाथ जोड़कर भगवान् के आदेश को सिर पर चढ़ाया। भगवान् से हाँ कहकर, उनकी परिक्रमा करके और उन्हें सादर प्रणाम करके वो सुतल नामक अधोलोक में प्रवेश कर गये।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.