श्रील शुकदेव गोस्वामी ने कहा: हे राजा परीक्षित! समस्त असुर-पतियों के स्वामी प्रह्लाद महाराज ने बलि महाराज समेत हाथ जोड़कर भगवान् के आदेश को सिर पर चढ़ाया। भगवान् से हाँ कहकर, उनकी परिक्रमा करके और उन्हें सादर प्रणाम करके वो सुतल नामक अधोलोक में प्रवेश कर गये।