न त्वामभिभविष्यन्ति लोकेशा: किमुतापरे ।
त्वच्छासनातिगान् दैत्यांश्चक्रं मे सूदयिष्यति ॥ ३४ ॥
अनुवाद
सुतललोक में, आम लोगों की तो बात ही क्या, दूसरे लोकों के मुख्य देवता भी तुम्हें जीत नहीं पाएँगे। जहाँ तक असुरों की बात है, यदि वे तुम्हारे शासन का उल्लंघन करेंगे तो मेरा चक्र उनका संहार कर देगा।