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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 22: बलि महाराज द्वारा आत्मसमर्पण
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श्लोक 27
श्लोक
8.22.27
मानस्तम्भनिमित्तानां जन्मादीनां समन्तत: ।
सर्वश्रेय:प्रतीपानां हन्त मुह्येन्न मत्पर: ॥ २७ ॥
अनुवाद
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यद्यपि उच्च कुल में जन्म और अन्य ऐसे ऐश्वर्य भक्ति के मार्ग में बाधक हैं क्योंकि ये झूठी प्रतिष्ठा और अभिमान के कारण हैं, किंतु ये ऐश्वर्य कभी भी परमेश्वर के अनन्य भक्त को विचलित नहीं करते।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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