श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 22: बलि महाराज द्वारा आत्मसमर्पण  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  8.22.26 
 
 
जन्मकर्मवयोरूपविद्यैश्वर्यधनादिभि: ।
यद्यस्य न भवेत् स्तम्भस्तत्रायं मदनुग्रह: ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  यदि कोई मनुष्य उच्चकुल में जन्म लेता है, अद्भुत कार्य करता है, युवा है, सौंदर्य, अच्छी शिक्षा और प्रचुर धन-सम्पत्ति से युक्त है, लेकिन फिर भी वह अपने ऐश्वर्य पर गर्व नहीं करता, तो यह समझना चाहिए कि उस पर भगवान की विशेष कृपा है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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