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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 22: बलि महाराज द्वारा आत्मसमर्पण
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श्लोक 19
श्लोक
8.22.19
बद्धं वीक्ष्य पतिं साध्वी तत्पत्नी भयविह्वला ।
प्राञ्जलि: प्रणतोपेन्द्रं बभाषेऽवाङ्मुखी नृप ॥ १९ ॥
अनुवाद
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किन्तु बलि महाराज की पतिव्रता पत्नी ने अपने पति को बंदी देखकर भयभीत और दुखी होकर तुरंत भगवान वामनदेव (उपेन्द्र) को प्रणाम किया और हाथ जोड़कर इस प्रकार बोली।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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