तब बलि महाराज ने अपने पितामह, परम भाग्यशाली प्रह्लाद महाराज को देखा। उनका श्यामल शरीर काजल के समान लग रहा था। उनका लंबा, सुंदर शरीर पीले वस्त्र से सुशोभित था। उनकी भुजाएँ लंबी थीं और उनकी सुंदर आँखें कमल की पंखुड़ियों के समान थीं। वे बहुत प्रिय और मोहक व्यक्तित्व वाले थे।