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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 22: बलि महाराज द्वारा आत्मसमर्पण
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श्लोक 12
श्लोक
8.22.12
श्रीशुक उवाच
तस्येत्थं भाषमाणस्य प्रह्लादो भगवत्प्रिय: ।
आजगाम कुरुश्रेष्ठ राकापतिरिवोत्थित: ॥ १२ ॥
अनुवाद
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श्री शुकदेव गोस्वामी जी ने कहा कि हे कुरुवंश के श्रेष्ठ राजा ! जब बलि महाराज अपने सौभाग्य की इस प्रकार प्रशंसा कर रहे थे, तब महाराज प्रह्लाद, जो भगवान के परम प्रिय भक्त थे, वहाँ प्रकट हुए, मानो रात्री में चंद्रमा उदय हो गया हो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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