तुम्हारे पास जितनी भी संपत्ति है उस पर गर्व कर, तुमने मुझे भूमि दान देने का वादा किया था, लेकिन तुम अपने वादे को पूरा नहीं कर पाए। इसलिए, क्योंकि तुम्हारा वादा झूठा था, तो तुम्हें कुछ वर्षों तक नारकीय जीवन बिताना होगा।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत इक्कीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।