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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना
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श्लोक 32
श्लोक
8.21.32
प्रतिश्रुतमदातुस्ते निरये वास इष्यते ।
विश त्वं निरयं तस्माद् गुरुणा चानुमोदित: ॥ ३२ ॥
अनुवाद
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क्योंकि तुम अपने वचन के अनुसार दान देने में असमर्थ रहे हो इसलिए नियम कहता है कि तुम नरक में जाओ। इसलिए तुम अपने गुरु शुक्राचार्य के आदेश से अब नीचे जाओ और वहाँ रहो।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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