श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 26
 
 
श्लोक  8.21.26 
 
 
अथ तार्क्ष्यसुतो ज्ञात्वा विराट्‌प्रभुचिकीर्षितम् ।
बबन्ध वारुणै: पाशैर्बलिं सूत्येऽहनि क्रतौ ॥ २६ ॥
 
अनुवाद
 
  तत्पश्चात्, सोमपान के दिन, यज्ञ समाप्त हो जाने के बाद, पक्षियों के राजा गरुड़ ने अपने स्वामी, भगवान विष्णु की इच्छा जानकर बलि महाराज को वरुणपाश से बंदी बना लिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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