श्रीमद् भागवतम » स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन » अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना » श्लोक 22 |
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| | श्लोक 8.21.22  | बलेन सचिवैर्बुद्ध्या दुर्गैर्मन्त्रौषधादिभि: ।
सामादिभिरुपायैश्च कालं नात्येति वै जन: ॥ २२ ॥ | | | अनुवाद | कोई भी व्यक्ति भौतिक बल, मंत्रियों की सलाह, बुद्धि, कूटनीति, किलों, मंत्रों, दवाओं, जड़ी-बूटियों या किसी अन्य उपाय से सर्वोच्च व्यक्तित्व के दिव्य स्वरूप काल की अवधारणा को परास्त नहीं कर सकता है। | | कोई भी व्यक्ति भौतिक बल, मंत्रियों की सलाह, बुद्धि, कूटनीति, किलों, मंत्रों, दवाओं, जड़ी-बूटियों या किसी अन्य उपाय से सर्वोच्च व्यक्तित्व के दिव्य स्वरूप काल की अवधारणा को परास्त नहीं कर सकता है। |
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