श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 20
 
 
श्लोक  8.21.20 
य: प्रभु: सर्वभूतानां सुखदु:खोपपत्तये ।
तं नातिवर्तितुं दैत्या: पौरुषैरीश्वर: पुमान् ॥ २० ॥
 
 
अनुवाद
हे दानवों ! मानवीय प्रयत्नों से कोई भी उस परम पुरुष को पार नहीं कर सकता जो सभी जीवों को सुख और दुख देता है।
 
हे दानवों ! मानवीय प्रयत्नों से कोई भी उस परम पुरुष को पार नहीं कर सकता जो सभी जीवों को सुख और दुख देता है।
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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