नन्द: सुनन्दोऽथ जयो विजय: प्रबलो बल: ।
कुमुद: कुमुदाक्षश्च विष्वक्सेन: पतत्त्रिराट् ॥ १६ ॥
जयन्त: श्रुतदेवश्च पुष्पदन्तोऽथ सात्वत: ।
सर्वे नागायुतप्राणाश्चमूं ते जघ्नुरासुरीम् ॥ १७ ॥
अनुवाद
नंद, सुनंद, जय, विजय, प्रबल, बल, कुमुद, कुमुदाक्ष, विष्वक्सेन, पतत्त्रिराट [गरुड़], जयंत, श्रुतदेव, पुष्पदंत और सात्वत ये सभी भगवान विष्णु के सहयोगी थे। वे दस हज़ार हाथियों के बराबर ताकतवर थे और अब ये असुरों की सेनाओं का नाश करने लगे।