श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 16-17
 
 
श्लोक  8.21.16-17 
 
 
नन्द: सुनन्दोऽथ जयो विजय: प्रबलो बल: ।
कुमुद: कुमुदाक्षश्च विष्वक्सेन: पतत्‍त्रिराट् ॥ १६ ॥
जयन्त: श्रुतदेवश्च पुष्पदन्तोऽथ सात्वत: ।
सर्वे नागायुतप्राणाश्चमूं ते जघ्नुरासुरीम् ॥ १७ ॥
 
अनुवाद
 
  नंद, सुनंद, जय, विजय, प्रबल, बल, कुमुद, कुमुदाक्ष, विष्वक्सेन, पतत्त्रिराट [गरुड़], जयंत, श्रुतदेव, पुष्पदंत और सात्वत ये सभी भगवान विष्णु के सहयोगी थे। वे दस हज़ार हाथियों के बराबर ताकतवर थे और अब ये असुरों की सेनाओं का नाश करने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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