श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 15
 
 
श्लोक  8.21.15 
 
 
तानभिद्रवतो द‍ृष्ट्वा दितिजानीकपान् नृप ।
प्रहस्यानुचरा विष्णो: प्रत्यषेधन्नुदायुधा: ॥ १५ ॥
 
अनुवाद
 
  हे राजन! जब भगवान विष्णु के सहयोगियों ने देखा कि असुरों के सैनिकों ने हिंसा पर उतर आते हुए आगे बढ़ना शुरू कर दिया है तो वे मुस्कुराने लगे। उन्होंने अपने हथियार उठाते हुए असुरों को इस प्रकार का प्रयास करने से मना कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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