ते सर्वे वामनं हन्तुं शूलपट्टिशपाणय: ।
अनिच्छन्तो बले राजन् प्राद्रवञ्जातमन्यव: ॥ १४ ॥
अनुवाद
हे राजा! आसूरी लोग सामान्य क्रोध के आवेश में आकर अपने-अपने भाले और त्रिशूल हाथों में ले लिये और बलि महाराज की इच्छा के विरुद्ध भगवान वामनदेव को मारने को आगे बढ़े।