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श्लोक 8.21.13  |
तस्मादस्य वधो धर्मो भर्तु: शुश्रूषणं च न: ।
इत्यायुधानि जगृहुर्बलेरनुचरासुरा: ॥ १३ ॥ |
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अनुवाद |
इसलिए इस वामनदेव भगवान् विष्णु को मारना हमारा कर्तव्य है। यह धर्म है और अपने स्वामी की सेवा करना है। इस निर्णय के बाद महाराज बलि के राक्षसी अनुयायियों ने वामनदेव को मारने के उद्देश्य से अपने-अपने हथियार उठा लिए। |
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इसलिए इस वामनदेव भगवान् विष्णु को मारना हमारा कर्तव्य है। यह धर्म है और अपने स्वामी की सेवा करना है। इस निर्णय के बाद महाराज बलि के राक्षसी अनुयायियों ने वामनदेव को मारने के उद्देश्य से अपने-अपने हथियार उठा लिए। |
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