श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  8.21.12 
सत्यव्रतस्य सततं दीक्षितस्य विशेषत: ।
नानृतं भाषितुं शक्यं ब्रह्मण्यस्य दयावत: ॥ १२ ॥
 
 
अनुवाद
हमारे स्वामी बलि महाराज हमेशा सत्य पर अटल रहते हैं, और विशेष रूप से इस समय तो और भी अधिक, क्योंकि उन्हें यज्ञ करने की दीक्षा दी गई है। वे ब्राह्मणों के प्रति हमेशा दयालु एवं मृदुभाषी रहते हैं और कभी भी झूठ नहीं बोल सकते।
 
हमारे स्वामी बलि महाराज हमेशा सत्य पर अटल रहते हैं, और विशेष रूप से इस समय तो और भी अधिक, क्योंकि उन्हें यज्ञ करने की दीक्षा दी गई है। वे ब्राह्मणों के प्रति हमेशा दयालु एवं मृदुभाषी रहते हैं और कभी भी झूठ नहीं बोल सकते।
 ✨ ai-generated
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2025 vedamrit. All Rights Reserved.