श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 11
 
 
श्लोक  8.21.11 
 
 
अनेन याचमानेन शत्रुणा वटुरूपिणा ।
सर्वस्वं नो हृतं भर्तुर्न्यस्तदण्डस्य बर्हिषि ॥ ११ ॥
 
अनुवाद
 
  हमारे स्वामी बलि महाराज यज्ञ करने की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं, इसलिए उन्होंने दंड देने की अपनी शक्ति को त्याग दिया है। इस मौके का फायदा उठाकर हमारे चिरशत्रु विष्णु ने ब्रह्मचारी-भिखारी के वेश में उनका सारा धन-दौलत छीन लिया है।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.