श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 21: भगवान् द्वारा बलि महाराज को बन्दी बनाया जाना  »  श्लोक 10
 
 
श्लोक  8.21.10 
 
 
न वायं ब्रह्मबन्धुर्विष्णुर्मायाविनां वर: ।
द्विजरूपप्रतिच्छन्नो देवकार्यं चिकीर्षति ॥ १० ॥
 
अनुवाद
 
  यह वामन निश्चय ही कोई ब्राह्मण नहीं बल्कि धूर्तों के धूर्त भगवान श्री विष्णु हैं। उन्होंने ब्राह्मण का रूप धारण करके अपने असली रूप को छुपा लिया है और इस प्रकार वे देवताओं के हित के लिए यहाँ कार्य कर रहे हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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