सुलभा युधि विप्रर्षे ह्यनिवृत्तास्तनुत्यज: ।
न तथा तीर्थ आयाते श्रद्धया ये धनत्यज: ॥ ९ ॥
अनुवाद
हे श्रेष्ठ ब्राह्मण! ऐसे अनेक लोग हैं जिन्होंने युद्ध से न डरकर युद्धभूमि में प्राण त्याग दिए हैं, लेकिन मुश्किल से ही किसी को अपना संचित धन किसी संत पुरुष को समर्पित करने का मौका मिला है जो पवित्र स्थानों का निर्माण करते हैं।