वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्रीमद् भागवतम
»
स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
»
अध्याय 20: बलि महाराज द्वारा ब्रह्माण्ड समर्पण
»
श्लोक 5
श्लोक
8.20.5
नाहं बिभेमि निरयान्नाधन्यादसुखार्णवात् ।
न स्थानच्यवनान्मृत्योर्यथा विप्रप्रलम्भनात् ॥ ५ ॥
अनुवाद
play_arrowpause
मैं नरक, दरिद्रता, दुखों के बड़े समुद्र, पद से गिर जाने या साक्षात् मृत्यु से भी उतना नहीं डरता जितना कि एक ब्राह्मण को ठगने से डरता हूँ।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.