श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 20: बलि महाराज द्वारा ब्रह्माण्ड समर्पण  »  श्लोक 19
 
 
श्लोक  8.20.19 
 
 
तदासुरेन्द्रं दिवि देवतागणा
गन्धर्वविद्याधरसिद्धचारणा: ।
तत्कर्म सर्वेऽपि गृणन्त आर्जवं
प्रसूनवर्षैर्ववृषुर्मुदान्विता: ॥ १९ ॥
 
अनुवाद
 
  उस समय स्वर्गलोक के निवासी—देवता, गंधर्व, विद्याधर, सिद्ध और चारण - सभी बलि महाराज के सरल और निष्कपट कृत्य से बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उनके गुणों की प्रशंसा की, उनके ऊपर लाखों फूलों की वर्षा की।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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