श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 20: बलि महाराज द्वारा ब्रह्माण्ड समर्पण  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  8.20.16 
 
 
एवं शप्त: स्वगुरुणा सत्यान्न चलितो महान् ।
वामनाय ददावेनामर्चित्वोदकपूर्वकम् ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  शुकदेव गोस्वामी ने आगे कहा: अपने गुरु द्वारा इस प्रकार शापित होने पर भी महापुरुष होने के कारण बलि महाराज अपने संकल्प से डिगे नहीं। इसलिए उन्होंने प्रथा के अनुसार सर्वप्रथम वामनदेव को जल अर्पित किया और उसके बाद उन्हें वह भूमि भेंट की जिसके लिए वे वचन दे चुके थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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