एष वा उत्तमश्लोको न जिहासति यद् यश: ।
हत्वा मैनां हरेद् युद्धे शयीत निहतो मया ॥ १३ ॥
अनुवाद
यदि यह ब्राह्मण वास्तव में भगवान विष्णु है, जिनकी पूजा वैदिक स्तुतियों द्वारा की जाती है, तो वह तो अपने पूरे संसार में फैले यश को कभी नहीं छोड़ सकते; या तो वे मेरे द्वारा मारे जाने पर मरकर लेट जाएँगे या फिर युद्ध में मेरा वध कर देंगे।