श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 20: बलि महाराज द्वारा ब्रह्माण्ड समर्पण  »  श्लोक 12
 
 
श्लोक  8.20.12 
 
 
यद्यप्यसावधर्मेण मां बध्नीयादनागसम् ।
तथाप्येनं न हिंसिष्ये भीतं ब्रह्मतनुं रिपुम् ॥ १२ ॥
 
अनुवाद
 
  यद्यपि वे साक्षात् विष्णु हैं, परंतु भय के मारे उन्होंने मेरे पास भिक्षा माँगने के लिए ब्राह्मण का रूप धारण कर रखा है। ऐसी परिस्थिति में उन्होंने ब्राह्मण का वेश धारण किया है, तो चाहे वे अधर्म पूर्वक मुझे कैद कर लें या मेरा वध कर डालें मैं उनसे बदला नहीं लूँगा, यद्यपि वे मेरे शत्रु हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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