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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 20: बलि महाराज द्वारा ब्रह्माण्ड समर्पण
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श्लोक 1
श्लोक
8.20.1
श्रीशुक उवाच
बलिरेवं गृहपति: कुलाचार्येण भाषित: ।
तूष्णीं भूत्वा क्षणं राजन्नुवाचावहितो गुरुम् ॥ १ ॥
अनुवाद
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श्री शुकदेव गोस्वामी बोले : हे महाराज परीक्षित! जब बलि महाराज को उनके गुरु तथा कुल पुरोहित शुक्राचार्य ने इस प्रकार उपदेश दिया तो वे कुछ देर चुप रहे तथा पूर्ण विचार-विमर्श के पश्चात् उन्होंने अपने गुरु से इस प्रकार कहा।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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