सिद्धचारणगन्धर्वैर्विद्याधरमहोरगै: ।
किन्नरैरप्सरोभिश्च क्रीडद्भिर्जुष्टकन्दर: ॥ ५ ॥
अनुवाद
उच्च लोकों के निवासी - सिद्ध, चारण, गंधर्व, विद्याधर, नाग, किन्नर और अप्सराएँ - खेलने-कूदने और आनंद लेने के लिए इस पर्वत पर आते हैं। इसलिए इस पर्वत की सारी गुफाएँ इन स्वर्गीय ग्रहों के निवासियों से भरी रहती हैं।