श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 2: गजेन्द्र का संकट  »  श्लोक 30
 
 
श्लोक  8.2.30 
 
 
ततो गजेन्द्रस्य मनोबलौजसां
कालेन दीर्घेण महानभूद् व्यय: ।
विकृष्यमाणस्य जलेऽवसीदतो
विपर्ययोऽभूत् सकलं जलौकस: ॥ ३० ॥
 
अनुवाद
 
  उसके बाद, पानी में खींचे जाने और सालों तक युद्ध करते रहने के कारण हाथी की मानसिक, शारीरिक और इंद्रिय शक्ति कम होने लगी। इसके विपरीत, पानी में रहने वाले जानवर होने के नाते मगरमच्छ का उत्साह, शारीरिक शक्ति और इंद्रिय शक्ति बढ़ती रही।
 
 
 
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