तथातुरं यूथपतिं करेणवो
विकृष्यमाणं तरसा बलीयसा ।
विचुक्रुशुर्दीनधियोऽपरे गजा:
पार्ष्णिग्रहास्तारयितुं न चाशकन् ॥ २८ ॥
अनुवाद
उसके बाद, गजेन्द्र को ऐसी दुःखदायक स्थिति में देखकर उसकी पत्नियाँ अत्यधिक दुःखी हुईं और चीख-पुकार मचाने लगीं। अन्य हाथियों ने गजेन्द्र की सहायता करना चाहा, लेकिन मगरमच्छ की बहुत अधिक ताकत के कारण वे उसे पीछे से पकड़कर बचा नहीं सके।