श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना  »  श्लोक 8
 
 
श्लोक  8.19.8 
 
 
तमायान्तं समालोक्य शूलपाणिं कृतान्तवत् ।
चिन्तयामास कालज्ञो विष्णुर्मायाविनां वर: ॥ ८ ॥
 
अनुवाद
 
  त्रिशूल लिए साक्षात्काल की भाँति हिरण्यकशिपु को आगे बढ़ते देखकर मायावियों में श्रेष्ठ और काल की गति को जानने वाले भगवान विष्णु ने विचार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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