अपने वश में लाने के लिए किसी स्त्री से प्यार भरी बातें करने में, हँसी-मजाक में, विवाह के अवसर पर, अपनी आजीविका कमाने में, जब जान का खतरा हो, गायों और ब्राह्मण संस्कृति की रक्षा करने में, या किसी व्यक्ति की दुश्मन के हाथों से रक्षा करने में झूठ भी कभी निंदनीय नहीं माना जाता है।
इस प्रकार श्रीमद् भागवतम के स्कन्ध आठ के अंतर्गत उन्नीसवाँ अध्याय समाप्त होता है ।