वेदों में कहा गया है कि शरीर रूपी वृक्ष का सच्चा फल इसके उत्तम फल और फूल हैं। लेकिन अगर शरीर रूपी वृक्ष ही न हो तो फिर इन वास्तविक फलों और फूलों के होने की कोई संभावना नहीं है। यहाँ तक कि अगर शरीर झूठ की नींव पर भी टिका हो तो भी शरीर रूपी वृक्ष के बिना वास्तविक फल-फूल नहीं हो सकते।