श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  8.19.31 
 
 
प्रतिश्रुतं त्वयैतस्मै यदनर्थमजानता ।
न साधु मन्ये दैत्यानां महानुपगतोऽनय: ॥ ३१ ॥
 
अनुवाद
 
  तुमको इस बात का अंदाजा नहीं है कि भूमि देने का वचन देकर तुमने कितनी ख़तरनाक परिस्थिति का सामना किया है। मेरे विचार से ये तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है। इससे राक्षसों को भारी नुक़सान होगा।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.