प्रतिश्रुतं त्वयैतस्मै यदनर्थमजानता ।
न साधु मन्ये दैत्यानां महानुपगतोऽनय: ॥ ३१ ॥
अनुवाद
तुमको इस बात का अंदाजा नहीं है कि भूमि देने का वचन देकर तुमने कितनी ख़तरनाक परिस्थिति का सामना किया है। मेरे विचार से ये तुम्हारे लिए अच्छा नहीं है। इससे राक्षसों को भारी नुक़सान होगा।