श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना  »  श्लोक 3
 
 
श्लोक  8.19.3 
 
 
न ह्येतस्मिन्कुले कश्चिन्नि:सत्त्व: कृपण: पुमान् ।
प्रत्याख्याता प्रतिश्रुत्य यो वादाता द्विजातये ॥ ३ ॥
 
अनुवाद
 
  मुझे पता है कि आज तक तुम्हारे परिवार में कोई ऐसा व्यक्ति पैदा नहीं हुआ है जो संकीर्ण मन का या कंजूस हो। न तो कोई ब्राह्मणों को दान देने से पीछे हटा है और न ही दान देने का वादा करके कभी उससे मुकर गया है।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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