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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना
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श्लोक 27
श्लोक
8.19.27
तस्मात् त्रीणि पदान्येव वृणे त्वद् वरदर्षभात् ।
एतावतैव सिद्धोऽहं वित्तं यावत्प्रयोजनम् ॥ २७ ॥
अनुवाद
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इसलिए हे राजा! दानियों में श्रेष्ठ आपसे मैं सिर्फ तीन पग भूमि मांगता हूं। इस दान से मैं अत्यधिक प्रसन्न हो जाऊंगा क्योंकि सुखी होने की यही विधि है कि जो नितांत आवश्यक हो उसे पाकर पूर्ण संतुष्ट हो लिया जाए।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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