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श्रीमद् भागवतम
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स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन
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अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना
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श्लोक 23
श्लोक
8.19.23
सप्तद्वीपाधिपतयो नृपा वैन्यगयादय: ।
अर्थै: कामैर्गता नान्तं तृष्णाया इति न: श्रुतम् ॥ २३ ॥
अनुवाद
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हमने सुना है कि हालाँकि महाराज पृथु और महाराज गया जैसे शक्तिशाली राजाओं ने सातों द्वीपों पर अपना शासन स्थापित कर लिया था, फिर भी उन्हें न तो संतुष्टि मिली और न ही अपनी महत्वाकांक्षाओं का अंत पा सके।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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