श्रीभगवानुवाच
यावन्तो विषया: प्रेष्ठास्त्रिलोक्यामजितेन्द्रियम् ।
न शक्नुवन्ति ते सर्वे प्रतिपूरयितुं नृप ॥ २१ ॥
अनुवाद
भगवान ने कहा : हे राजा! जिस व्यक्ति की इंद्रियाँ नियंत्रण में नहीं हैं उसकी इंद्रियों को संतुष्ट करने के लिए तीनों लोकों में जो कुछ भी है वह उसे संतुष्ट नहीं कर सकता।