श्रीमद् भागवतम  »  स्कन्ध 8: ब्रह्माण्डीय सृष्टि का निवर्तन  »  अध्याय 19: बलि महाराज से वामनदेव द्वारा दान की याचना  »  श्लोक 16
 
 
श्लोक  8.19.16 
 
 
तस्मात् त्वत्तो महीमीषद् वृणेऽहं वरदर्षभात् ।
पदानि त्रीणि दैत्येन्द्र सम्मितानि पदा मम ॥ १६ ॥
 
अनुवाद
 
  हे दैत्यराज! आप इतने कुलीन हैं और इतनी उदारता से दान देते हैं, मैं आपसे अपने पैरों से मापकर केवल तीन पग भूमि माँगता हूँ।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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